by 52patti.com Mar 20-2022
जहाँ एक तरफ बढ़ती महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है वही शहरों में घर लेना अब और भी महंगा हो गया है। दरअसल पिछले साल घरों की कीमतों में 3-7 प्रतिशत की वृद्धि (home prices increased) हुई है। कोरोना वायरस महामारी के बाद सरकार के समर्थन उपायों, बेहतर उपभोक्ता भावना और स्थिर कीमतों के चलते यह बढ़ोतरी देखने को मिली।
दरअसल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सीमेंट और इस्पात जैसे कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से देश के कई प्रमुख प्रमुख शहरों में पिछले साल की तुलना में घरों की कीमतों में तेज़ी आई है। वहीँ सर्किल रेट जिला प्रशासन की ओर से जमीन, घर या फ्लैट की खरीद के लिए एक तय मानक रेट होता है, जिससे कम पर संपत्ति की खरीद या बिक्री नहीं की जा सकती।
दिल्ली में पिछले कई सालों में जमीन की बाजार कीमत तो बढ़ी है लेकिन सर्किल रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इससे पहले दिल्ली में सर्किल रेट में बदलाव किया गया था। हालांकि दिल्ली में इलाकों में मौजूद सुविधाओं के हिसाब से सर्किल रेट अलग-अगल हैं। कुछ जगहों पर यह बहुत ज्यादा है तो कहीं पर बहुत कम है। इतना ही अलग अलग जगहों के हिसाब से इसी रेट पर रजिस्ट्री होती है और रेट का 5 फीसदी स्टांप शुल्क चुकाना पड़ता है।
कई मीडिया रिपोर्ट के ख़बरों के अनुसार रियल स्टेट के बाजार भाव में पिछले कई वर्षों में सुधार नहीं हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप निर्माण के चरण में या बनी बनाई सम्पत्ति में लोगों की पूंजी का बड़ा हिस्सा अटका पड़ा है और बड़ी संख्या में संपत्तियां, फ्लैट खरीदारों के इंतजार में खाली पड़े हैं।
वहीँ इस बार के Budget 2022-23 में नॉन-एग्रीकल्चरल इमूवबल प्रॉपर्टी (Immovable Property) के ट्रांजैक्शन से जुड़े टीडीएस (TDS) के नियम में बदलाव किया गया है। नए नियम के मुताबिक, 50 लाख रुपये से ज्यादा वैल्यू की नॉन-एग्रीकल्चरल प्रॉपर्टी के ट्रांजैक्शन पर अब सेल प्राइस (Sale Price) या स्टैंप ड्यूटी वैल्यू (Stamp Duty Value) में से जो ज्यादा होगा, उसे 1 फीसदी टीडीएस के लिए आधार माना जाएगा।