by 52patti.com Apr 30-2023
Income Tax रिटर्न दाखिल करना हर उस शख्स की जिम्मेदारी है, इसके लिए अलग-अलग इनकम के लिहाज से टैक्स स्लैब भी अलग-अलग हैं। इसके साथ ही लोगों को इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने के लिए अलग-अलग फॉर्म का भी इस्तेमाल करना पड़ता है। ऐसे में आईटीआर भरते वक्त सही फॉर्म का चयन करें, गलत फॉर्म में ITR दाखिल करने पर दिक्कत हो सकती है।
ITR फॉर्म चुनें
आयकर विभाग ने कई ITR फॉर्म निर्धारित किए हैं. आपको अपनी आय के साधन के आधार पर सावधानी से अपना ITR फॉर्म चुनना होगा, वरना आयकर विभाग इसे रिजेक्ट कर देगा। आपको इनकम टैक्स के सेक्शन 139(5) के तहत संशोधित विवरणी (रिवाइज्ड रिटर्न) दाखिल करने के लिए कहा जाएगा।
वहीं पुराने और नए टैक्स सिस्टम के बीच स्विच करने के लिए ITR-1 और ITR-4 में कुछ बदलाव किए गए हैं। आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए अतिरिक्त शर्तें आईटीआर 1 और आईटीआर 4 में पेश की गई हैं। इनमें पिछले वित्तीय वर्ष में कारोबार से ₹60 लाख से अधिक का कारोबार, पेशे से पिछले वित्तीय वर्ष में ₹10 लाख रुपये से अधिक का कारोबार और पिछले वित्तीय वर्ष में टीडीएस काटा गया आदि शामिल है।
बैंक खातों की डिटेल न भरना
बहुत से लोग अपने सभी बैंक खातों की जानकारी नहीं देते, जिनसे उन्होंने उस वित्तीय वर्ष में लेन देन किया है। ऐसा करना गलत है, क्योंकि आयकर विभाग ने अपने अधिनियम में साफ तौर पर कहा है कि टैक्सपेयर्स को अपने नाम पर पंजीकृत सभी बैंक खातों की जानकारी देना जरूरी है।
इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने के बाद अगर आपका कोई रिफंड बनता है तो वह आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर (CPC) के जरिए मिलता है। जरूरी है बैंक अकाउंट प्री-वैलिडेट हो ताकि आपको रिफंड मिलने में देरी न हो।
कॉन्टैक्ट डिटेल सही भरें
ध्यान रहे कि आपके नाम की स्पेलिंग, पूरा पता, ईमेल, कॉन्टैक्ट नंबर जैसी जानकारी आपके पैन, ITR और आधार में एक जैसी हो। वहीं, मोबाइल नंबर डालें जिस पर SMS आ सके। गलत जानकारी देने पर आपको रिफंड मिलने में मुश्किल हो सकती है। गलत जानकारी देना आपको महंगा भी पड़ सकता है। इसमें जुर्माने का भी प्रावधान है। ये डिटेल्स पहले से ही फॉर्म में भरी रहती हैं लेकिन क्रॉस चेक कर लेना चाहिए।
भरें फॉर्म 26AS
टैक्सपेयर्स को हमेशा आईटीआर फाइल करते समय फॉर्म 26AS को ध्यान से पहले पढ़ लेना चाहिए, ताकि इसमें गलती होने की संभावना न हो। इसमें व्यक्ति की आय, टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS), एडवांस टैक्स पेड, सेल्फ असेसमेंट टैक्स पेड आदि की जानकारी रहती है। सभी सैलरी वाले लोगों को एंप्लॉयर के फॉर्म 16 और फॉर्म 26AS से अपनी जानकारी को मिलाकर चेक करना चाहिए।